कहावत Subrato Chatarji

डरो, डरो अंधों से, बहरों से, लूले लंगड़ों से, गूंगों से, डरो हर उस शख्स से, जो चलती फिरती लाश है. हर वैसे शख़्स से जो अपूर्ण है, क्योंकि वो खुद को साबूत नहीं कर सकते इसलिए तुम्हें भी साबूत नहीं रहने देंगे. -     

                                                       सुब्रतो चटर्जी

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